नाम - संदीप कुमार सिंह
पद - प्रमुख, एडल्ट कंटीन्यूइंग एंड एक्सटेंशन विभाग
नवप्रवर्तन कोड - 71182959
परिचय-
डॉ. संदीप कुमार सिंह कानपुर यूनिवर्सिटी के
एडल्ट कंटीन्यूइंग एंड एक्सटेंशन विभाग के प्रमुख हैं. इसके अतिरिक्त 2005 से वह
कानपुर यूनिवर्सिटी के समाज सेवा विभाग के इंचार्ज के पद का निर्वाहन भी कर रहे
हैं. प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपनी बाकि की पढ़ाई लखनऊ
यूनिवर्सिटी से पूरी की है. उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से बी.एस.सी व पी.एच.डी
किया है. राज्य सरकार के अंतर्गत नौकरी करने के बावजूद वह अपने क्षेत्र में कई
सामाजिक कार्य करते रहते हैं.
सामाजिक कार्य –
डॉ. संदीप कुमार सिंह ने कई सामाजिक संगठनों से जुड़कर अनेक सामाजिक कार्य किये हैं. इस पेशे में आने से पहले उन्होंने फैमिली ट्रस्ट के ऊपर काम किया है, कि किस तरह से फैमली ट्रस्ट का औद्योगिक उत्पादकता पर प्रभाव पड़ता है.
उन्होंने न सिर्फ कानपुर, कन्नौज, फतेहपुर, सुल्तानपुर के क्षेत्रों में चाइल्ड लेबर पर सर्वे करके उन बच्चों की स्थितियों को जानने का प्रयास किया है, बल्कि उसे सरकार तक पहुँचाने का कार्य भी किया है, जिसके कि उन बच्चों के लिए चाइल्ड लेबर स्कूलों की व्यवस्था की जा सकें तथा उन बच्चों को भी शिक्षा प्राप्त करने के समान अवसर मिल सकें. इसके अलावा उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से पुरुष नसबंदी जैसे मुद्दे का भी आकलन किया है.
वहीं एचआईबी एड्स के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए ‘संकल्प’ के एक
प्रोजेक्ट के तहत आकलन के लिए भी उन्हें नियुक्त किया गया था, जिसके बाद लोगों में
इस बीमारी के प्रति काफी जागरूकता देखने को मिली थी. इसके अलावा भी वह सामाजिक
जागरूकता से सम्बंधित कई कार्य करते रहते हैं.
भविष्य की योजना –
डॉ संदीप कुमार सिंह का उद्देश्य देश में ज्यादा से ज्यादा डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स तैयार करना है. यह तभी संभव होगा जब शिक्षा, ट्रेनिंग, टीचिंग व एक्सटेंशन इन चार पहलुओं को ध्यान में रखकर कार्य किया जाये. कानपुर यूनिवर्सिटी में उनके दोनों विभागों के अंतर्गत मास्टर ऑफ एक्सटेंशन एंड रुरल डेवलपमेंट तथा मास्टर ऑफ सोशल वर्क के कोर्स उपलब्ध हैं.
जिस कारण उनका लक्ष्य युवाओं को प्रोफेशनल योग्यता दिलाना रहता है, क्योंकि
डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स ही भारत के गरीब व पिछड़े लोगों को सशक्त बना सकते हैं तथा देश
में उद्यमशीलता को बढ़ावा दे सकते हैं. यदि हमारे पास योग्यता व सही ट्रेनिंग होगी
तो हमारे देश के बिना पढ़े- लिखे लोगों को भी रोजगार मिल सकेगा.
सामाजिक –परिवर्तन पर विचार -
डॉ साहब का मानना है, कि समय के अनुसार सामाजिक समस्याएं आती रहतीं हैं तथा उनमें समय के ही अनुसार परिवर्तन भी होना चाहिए. नीति- परिवर्तन ऐसे हों जिनसे सबका भला हो सके.
वर्तमान में हमें हमारी शिक्षा – व्यवस्था में
नीति- परिवर्तन करने की आवश्यकता है. शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो जिससे कि शिक्षा को
रोजगार से जोड़ा जा सके तथा शिक्षित लोग बेरोजगार न रहें. इसके अलावा देश के युवा
जो आज अपनी भूमिका को नजरंदाज कर रहें हैं,
उन्हें अपनी भूमिका और जिम्मेदारी समझनी होगी तथा पूरी ईमानदारी से उसका
निर्वाहन करना होगा.
बांधाओं पर विचार-
डॉ संदीप कुमार सिंह के अनुसार, जीवन के हर क्षेत्र तथा हर कार्य में बांधाएं आतीं हैं, लेकिन जीवन की वही बांधाएं आगे बढ़ने का रास्ता भी होती हैं. उन्हें भी एचआईवी पर लोगों की सोच बदलने व अन्य क्षेत्रों में लोगों में जागरूकता फैलाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था.
उनका मानना है कि जब हमारे सामने बांधाएं होंगी तभी हम उन्हें पार करने की कोशिश करेंगे तथा तभी हम अपनी वास्तविक क्षमता का आभास भी कर सकेंगें. इसीलिए सभी लोगों को जिन्दगी में निरंतर कुछ न कुछ करते रहना चाहिए, क्यों कि यदि आपके कार्य पूरे हो गये तो जिन्दगी रुक जाती है और निरर्थक हो जाती है.